Posts

Showing posts from November, 2019

औरंगज़ेब को सुधारस और रसनाविलास जैसे नाम कैसे सूझे?

बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में एक संस्कृत अध्यापक की नियुक्ति पर विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. कहा जा रहा है कि यह विरोध अध्यापक के मुसलमान होने की वजह से है. डॉ. फ़िरोज़ नाम के संस्कृत के इस विद्वान ने बचपन से अपने दादा ग़फूर ख़ान और अपने पिता रमज़ान ख़ान की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए संस्कृ त का अध्ययन किया. किसी अख़बार से बात करते हुए फिरोज़ ने क हा कि जब उनके दादा संस्कृत में भजन गाने लगते थे तो सैकड़ों की भीड़ भाव-विभोर होकर झूमने लगती थी. फ़िरोज़ के पिता अक्सर जयपुर के बगरु गांव के गोशाला में अपना प्र वचन किया करते थे. जयपुर के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में आने से पहले फ़िरोज़ ने बगरु के जिस संस्कृत विद्यालय में पढ़ाई की थी वह एक मस्जिद के ठीक बगल में स्थित है और उसमें आज भी कई मुस्लिम छात्र पढ़ते हैं. भारत की मिली-जुली संस्कृति ऐसे ही उदाहरणों से रौशन होती है. भाषा वैसे भी किसी धार्मि क पंथ या संप्रदाय से पहले अस्तित्व में आई हुई चीज़ है. हालांकि यह भी कटु सच्चाई है कि समय के साथ-साथ कई भाषाएं समुदाय विशेष की पहचान के रूप में रूढ़ हो गईं. इसका कारण यह भी हो सकता